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Showing posts from August, 2022

गेंदे के पौधे को लगायें और सभी तक लाभ पहुंचायें..

गेंदे के पौधे को लगायें और सभी तक लाभ पहुंचायें...  गेंदे के फूलों की मालाओं का सर्वाधिक प्रयोग आम जीवन में किया जाता है | इसकी खूबसूरती और सुगंध सभी को अपनी ओर आकृष्ट करती है | इसका पौधा बरसात के मौसम में लगता है और सरे भारत में सवर्त्र पाया जाता है | इसकी ऊँचाई लगभग 3-4 फुट होती है | पत्ते 1-2 इंच लम्बे और कंगूरेदार होते हैं, जो मसलने पर अच्छी खुशबु देते हैं | पुष्प पीले रंग के, नारंगी रंग के अक्टूबर नवम्बर महीनों में लगते हैं, जो आकार में अन्य फूलों के मुकाबले घने और बड़े-बड़े होते है | इनकी अनेक जातियां होती है, जिनमें मखमली, जाफ़रे, हवशी, सुरनाई और हजार ज्यादा प्रचलित है | गेंदे के फूल (Gende Ke Phool) के विभिन्न भाषाओं में नाम संस्कृत Genda Ka Phool In Sanskrit- झंडू, स्थूल पुष्पा | हिंदी Marigold Flower In Hindi- गेंदा | मराठी Marigold Flower In Marathi- झेंडू | गुजरती Marigold FLower In Gujarati- गलगोटो | अंग्रेजी Genda Ke Phool Ka English Me Name – मेरी गोल्ड (Mari Gold) गेंदे के फूल के गुण Genda ke phool ke gun आयुर्वेदिक मतानुसार गेंदा कसैला, स्वाद में कड़वा, ज्वरनाश

अशोक के पेड़ को लगायें और इससे लाभ उठायें

अशोक के पेड़ को लगायें और इससे लाभ उठायें...ऐसा कहा जाता है कि जिस वृक्ष के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे अशोक कहते हैं, अर्थात् जो स्त्रियों के सारे शोकों को दूर करने की शक्ति रखता है, वही अशोक है। इसका वृक्ष आम के वृक्ष की तरह सदा हरा-भरा रहता है, जो 25 से 30 फुट ऊंचा, अनेक शाखाओं से युक्त होता है। तना आमतौर पर सीधा लालिमा लिए और भूरे रंग का होता है। यह वृक्ष सारे भारत में आसानी से मिलता है। इसके पत्ते डंठल के दोनों ओर 5-6 के जोड़ों में 9 इंच लंबे, गोल व नोकदार होते हैं। प्रारंभ में पत्तों का रंग ताम्रवर्ण होता है, जो बाद में रक्ताभ होकर गहरा हरा हो जाता है। सूखने के बाद पत्तों का रंग लाल हो जाता है। पुष्प प्रारंभ में सुंदर, पीले, नारंगी रंग के होते हैं। वसंत ऋतु में लगने वाले पुष्प गुच्छाकार, सुगंधित, चमकीले, सुनहरे रंग के होते हैं, जो बाद में लाल वर्ण के हो जाते हैं। ज्येष्ठ माह में लगने वाली फलियां 4 से 10 इंच लंबी, चपटी, 1 से 2 इंच चौड़ी होती हैं, जिसमें डेढ़ इंच लंबे 4 से 10 बीज होते हैं। फली पहले गहरे जामुनी रंग की होती है, जो पकने पर काले वर्ण की हो जाती है। वृक्

मृत्यु से भय कैसा

*मृत्यु से भय कैसा...  🤔* *राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक (सर्प) के काटने से मृत्यु होने का एक दिन शेष रह गया, तब भी राजा परीक्षित का शोक और मृत्यु का भय दूर नहीं हुआ। अपने मरने की घड़ी निकट आता देखकर राजा का मन क्षुब्ध हो रहा था।* *तब शुकदेव जी महाराज ने परीक्षित को एक कथा सुनानी आरंभ की।* *राजन! बहुत समय पहले की बात है, एक राजा जंगल में शिकार खेलने गया, संयोगवश वह रास्ता भूलकर घने जंगल में जा पहुँचा। उसे रास्ता ढूंढते-ढूंढते रात्रि हो गई और वर्षा होने लगी। राजा बहुत डर गया और किसी प्रकार उस भयानक जंगल में रात्रि बिताने के लिए विश्राम का स्थान ढूंढने लगा।* *कुछ दूरी पर उसे एक दीपक जलता हुआ दिखाई दिया। वहाँ पहुँचकर उसने एक बहेलिये की झोंपड़ी देखी। वह बहेलिया ज्यादा चल-फिर नहीं सकता था, इसलिए झोंपड़ी में ही एक ओर उसने मल-मूत्र त्यागने का स्थान बना रखा था, अपने खाने के लिए जानवरों का मांस उसने झोंपड़ी की छत पर लटका रखा था।* *वह झोंपड़ी बड़ी गंदी, छोटी, अंधेरी और दुर्गंधयुक्त थी। उस झोंपड़ी को देखकर पहले तो राजा ठ