गेंदे के फूलों की मालाओं का सर्वाधिक प्रयोग आम जीवन में किया जाता है | इसकी खूबसूरती और सुगंध सभी को अपनी ओर आकृष्ट करती है | इसका पौधा बरसात के मौसम में लगता है और सरे भारत में सवर्त्र पाया जाता है | इसकी ऊँचाई लगभग 3-4 फुट होती है | पत्ते 1-2 इंच लम्बे और कंगूरेदार होते हैं, जो मसलने पर अच्छी खुशबु देते हैं | पुष्प पीले रंग के, नारंगी रंग के अक्टूबर नवम्बर महीनों में लगते हैं, जो आकार में अन्य फूलों के मुकाबले घने और बड़े-बड़े होते है | इनकी अनेक जातियां होती है, जिनमें मखमली, जाफ़रे, हवशी, सुरनाई और हजार ज्यादा प्रचलित है |
गेंदे के फूल (Gende Ke Phool) के विभिन्न भाषाओं में नाम
संस्कृत Genda Ka Phool In Sanskrit- झंडू, स्थूल पुष्पा |
हिंदी Marigold Flower In Hindi- गेंदा |
मराठी Marigold Flower In Marathi- झेंडू |
गुजरती Marigold FLower In Gujarati- गलगोटो |
अंग्रेजी Genda Ke Phool Ka English Me Name – मेरी गोल्ड (Mari Gold)
गेंदे के फूल के गुण Genda ke phool ke gun
आयुर्वेदिक मतानुसार गेंदा कसैला, स्वाद में कड़वा, ज्वरनाशक, संक्रमण नाशक होता है | रक्तस्त्राव को रोकने की विशेष क्षमता के कारन इसे रक्तप्रदर, बवासीर रक्तस्त्राव में विशेष तौर पर उपयोगी पाया गया है | इसे सामान्य चोट, मोच, सुजन पर बंधने से भी बहुत लाभ होता है |कीटाणुओं को दूर भगाने, उन्हें नष्ट करने का विशेष गुण होता है | ओटावा, कनाडा के वैज्ञानिक डॉ.जाँन अर्नेसन के मतानुसार गेंदें के फूलों में ऐसा सक्रिय तत्व पाया जाता है, जो मलेरिया फैलाने वाले एनाफिलिज जाती के मच्छरों को भगाने में काफी प्रभावशाली सिध्द हुआ है | कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक दल ने यह सिध्द किया है की गेंदे के फूलों का सत बहुत कम मात्रा में भी पानी में मिला दिया जाए, और घोल को लगभग 2 घंटे तक धुप में रखें, तो वह मच्छरों के लार्वा के लिए घातक सिध्द होता है | फूल के सत में उपस्थित गंधक का सम्मिश्रण सूर्य के प्रकाश से संश्लिष्ट होकर एक जहरीले पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है | अत: गेंदा मलेरिया जैसी बीमारी की रोकथाम का अचूक उपाय सिध्द हो सकता है | यु ही देखा गया है की गेंदें के पौधों के आसपास हानिकारक कीड़े और मच्छर दिखाई नहीं देते |
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गेंदे के फूल के फायदे Gende Ke Phool Ke Fayde गेंदा के फूल से करें इन 12 बीमारियों का ईलाज
1. स्तनशोथ : गेंदे के पत्तों को पीसकर उसका लेप स्तन पर लगाएं और उस पर ब्रा पहनकर गरम सिंकाई करें, सुजन उतर जाएगी |
2. दाद : प्रभावित अंग पर गेंदें के फूलों का रस निकालकर 2-3 बार नियमित लगाएं |
3. कान का दर्द : गेंNम।8जुदें के पत्तो का रस गर्म कर सह्निये अवस्था में पीड़ित कान में 2-3 बूंद की मात्रा में टपकाने से दर्द में शीघ्र आराम मिलेगा |
4. दुखती आँखों पर : गेंदे के पत्तों को पीसकर टिकिया रूप में दुखती आँखों पर पलके बंगभदहV V3NNHB बग VतबH6Nउइद करके रखें और पट्टी से बान्धकर आराम करने से आँखों का दुखना बंद होता है |
5. वीर्य, स्तम्भन शक्ति बढ़ाने हेतु : एक चम्मच गेंदे का बिज और इतनी ही मात्रा में मिसरी मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ हप्ते सेवन करने से वीर्य, स्त्म्भंशक्ति बढ़ती है |VBमक
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7. दांत दर्द : गेंदे के पत्तो का काढ़ा तैयार करके उससे 2-3 बार गरारे कर कुल्ला करते रहने से कष्ट दूर होगा |
8. चोट, मोच, सुजन : य77गेंदे के सभी अंगो (पंचांग) का रस निकालकर चोट, मोच, सु।जमन6जजन पर लगाए व मालिश करें, आराम मिलेगा |bunny bkn tb blinking hnu nmbr GB bhng V bhng h cmnt 3Uनb gb ghunt TNT y 6म8 bhn
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9. दमा, खांसी में : गेंदे के बीजो को समभाग मिसरी के साथ पीसकर एक चम्मच की मात्रा में एक कप पानी से 2-3 बार सेवन करने से इस कष्ट में लाभ होगा |
10 फोड़े-फुंसी, घाव : गेंदे के पत्तो को पीसकर 2-3 बार लगाए |
11. बवासीर में रक्तस्त्राव : फूल की पंखुड़ियों को 10 ग्राम की मात्रा में, थोड़े से घी में पकाकर दिन में 3 बार नियमित खाने से शीघ्र लाभ मिलता है |
12. हाथ पैर फटने पर : गेंदे के पत्तो का रस वैसलीन में मिलाकर 2-3 बार लगाएं |
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