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Showing posts from October, 2016

अनुपात और समानुपात

प्रिय पाठ्कों  अनुपात और समानुपात अनुपात क्या है ? अनुपात समान भाजक विभाजित होकर दो संख्याओं के बीच का संबंध है|  a  से  b  का संबंध को लिखेंगे  a : b = a / b  अनुपात में  a : b ,  हम  a  को  पूर्वपद  और  b  को  अनुवर्ती  कहते हैं| उदाहरण  :   4 : 9  के अनुपात को हम   4 / 9  लिख सकते हैं जिसमें  4  एक पूर्वपद है और अनुवर्ती  = 9 अनुपात का नियम  :    अनुपात में अनुपात के प्रत्येक पद को किसी शून्य रहित संख्या से गुणा और विभाजित करने पर वह अनुपात को प्रभावित नहीं करेगा| अनुपात समस्या के विभिन्न प्रकार के बैंकिंग परीक्षा में एक बहुत ही आवश्यक विषय है, यह मात्रात्मक अभिवृत्ति में दिए जाते हैं। आपके बेहतर अभ्यास के लिए नीचे कुछ और उदाहरण दिए गए हैं। हम अपने स्कूल के दिनों में जो भी सीखते वह मूल बातें होती हैं जोकि हमारे स्कूल में परीक्षा पारित करने के लिए पर्याप्त होती है। किन्तु अब समय  प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आ गया है। जिसके लिए हमें उन्ही मूल तथ्यों की आवश्यकता होती है ,  किन्तु साथ ही हमें बहुत कुछ नया भी सीखना पड़ता है। तब हमारे काम आती हैं शॉर्टकट ट्रिक

समय और कार्य

प्रिय पाठकों, आज हम समय और कार्य के विषय में पढेंगे. यह विषय आसानी से आपके अंक बड़ा सकता है लेकिन आपको सही सिद्धांत को समझना होगा और विभिन्न प्रश्नों का अभ्यास करना होगा. समय और कार्य के विषय में सब कुछ  यह अध्याय सीधे और प्रत्यक्ष और प्रतिलोम रूपों की अवधारणा पर आधारित है. हमे समय, कार्य और कर्मचारीयों की संख्या के संबंध को समझने की जरूरत है. यह मानते हुए कि सभी कर्मचारियों को एक ही दक्षता के साथ काम करते है तो हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि किया गया काम कर्मचारियों की संख्या का प्रत्यक्ष समानुपातिक और कार्य पूरा करने में लगे दिनों की संख्या का अप्रत्यक्ष समानुपातिक है  ☞ उदहारण के तौर पर, यदि एक आदमी एक कार्य को 10 दिन में पूरा करता है तो एक दिन में वह  कार्य  का 1/10 पूरा करता है.  ☞ उदहारण के तौर पर, यदि दो आदमी एक कार्य को अकेले क्रमशः10 दिन और 20 दिन में पूरा करते है , तो दोनों आदमियों का एक दिन का कुल कार्य होगा - इस प्रकार कुल कार्य उन दोनों के द्वारा इतने समय में पूरा किया जा सकता है-  महत्वपूर्ण बिंदु :  ➀  यदि A,X दिनों में काम का एक भाग पूरा कर

लाभ और हानि

प्रिय पाठकों  लाभ और हानि के बारे में जानें सब कुछ लाभ और हानि लाभ और हानि का निर्धारण लागत मूल्य और विक्रय मूल्य द्वारा किया जाता है. लागत मूल्य वह मूल्य है जिस पर किसी वस्तु को ख़रीदा जाता है और विक्रय मूल्य वह मूल्य है जिस पर वस्तु को बेचा जाता है. लाभ = विक्रय मूल्य - लागत मूल्य  हानि = लागत मूल्य -  विक्रय  मूल्य  प्रतिशत लाभ और हानि हमेशा लागत मूल्य पर ही निकाला जाता है.  ☞  यदि m वस्तु का लागत मूल्य n वस्तु के विक्रय मूल्य के बराबर है, तो लाभ प्रतिशत होगा-  अंकित मूल्य  अंकित मूल्य को सूची मूल्य के नाम से भी जाना जाता है. यह वस्तु पर अंकित मूल्य होता है. जहाँ,  CP = लागत मूल्य और MP = अंकित मूल्य छूट या रियायत दुकानदार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अनेक रास्ते अपनाते हैं. अनेक बार वे किसी वस्तु को उसके सूची मूल्य (LP)/अंकित मूल्य (MP) से कम पर बेचते हैं. खुदरा विक्रेताओं द्वारा ऐसे ऑफर देना ही छूट या रियायत या डिस्काउंट कहलाता है. हम कह सकते हैं कि, छूट = MP - SP उदाहरण 1:  एक डाइनिंग टेबल    Rs एक डाइनिंग टेबल का अंकित मूल्य 1350रु. है .  यदि कुछ डिस्